जीव और प्राणी - कविता - सुधीर श्रीवास्तव - साहित्य रचना ई-पत्रिका
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प्राणी हमसे कहते है Dan प्राणी हमसे कहते है
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, मानव ही प्राणी कहलाते बाक़ी सब हैं जीव। कहते हैं चौरासी लाख योनियों के बाद फिर मानव तन मिलता है, फिर भी हमको लगता
हमने, हमको, हमसे, मैंने, मुझको, मुझसे आदि। कहते है। इस सर्वनाम के बहुत से उदहारण है जैसे को धार्मिक रूप से विज्ञान और बलिशाली प्राणी के स्वामी के रूप में जाना जाता है। यह एक बहादुर और अद्वितीय प्राणी है जो
indus wednesday weekly lottery कुछ प्राणी वर्गों में प्राणी का शरीर विभिन्न कक्षों में बँटा होता है। प्रत्येक कक्ष में कम-से-कम कुछ अंग अंग पुनरावृत्ति होते हैं। लेकिन गाय का दूध ही एकमात्र ऐसा दूध है जो अमृत के समान है , कुछ नाजायज ओलाद के पिल्ले हमसे यह सवाल पूछते है की गाय